शुभांशु शुक्ला : अंतरिक्ष में भारत के नए गौरव का नाम

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हाल ही में अंतरिक्ष से धरती पर लौटे भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने भारत का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से अपने Axiom-4 मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करके लौटे शुभांशु, राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय और ISS पर पहुंचने वाले पहले भारतीय बने हैं। उनकी यह यात्रा न केवल वैज्ञानिक उपलब्धियों का प्रतीक है, बल्कि हर भारतीय के लिए प्रेरणा का एक नया अध्याय भी है।

 

कौन हैं शुभांशु शुक्ला?

शुभ्रांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर, 1985 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनकी शुरुआती शिक्षा लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (CMS), अलीगंज कैंपस से हुई। बचपन से ही उनका झुकाव देश सेवा की ओर था, और 1999 के कारगिल युद्ध ने उन्हें भारतीय सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। मात्र 16 साल की उम्र में उनका चयन नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) खडकवासला में हो गया।

NDA से कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल करने के बाद, साल 2006 में उन्हें भारतीय वायुसेना में फाइटर पायलट के रूप में कमीशन किया गया। शुभांशु शुक्ला के पास Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, Jaguar, Hawk, Dornier और An-32 जैसे कई विमानों को उड़ाने का 2000 घंटे से अधिक का अनुभव है। मार्च 2024 में उन्हें ग्रुप कैप्टन का पद मिला।

 

अंतरिक्ष यात्रा की ओर एक कदम

2019 में, शुभांशु शुक्ला को भारतीय वायुसेना के इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (IAM) द्वारा अंतरिक्ष यात्री चयन प्रक्रिया में शामिल किया गया। बाद में उन्हें IAM और ISRO द्वारा चार फाइनलिस्टों में से चुना गया। 2020 में, वे तीन अन्य चयनित अंतरिक्ष यात्रियों के साथ बुनियादी प्रशिक्षण के लिए रूस रवाना हुए, जिसे उन्होंने 2021 में पूरा किया। भारत वापस आकर, उन्होंने बेंगलुरु के अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र में अपना प्रशिक्षण जारी रखा।

उनका नाम पहली बार आधिकारिक तौर पर 27 फरवरी, 2024 को सार्वजनिक किया गया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिरुवनंतपुरम में इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन “गगनयान” के लिए अंतरिक्ष यात्री टीम के सदस्यों के नामों की घोषणा की थी।

 

Axiom-4 मिशन: एक ऐतिहासिक उपलब्धि

शुभ्रांशु शुक्ला ने Axiom-4 मिशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा की। यह मिशन NASA, ISRO और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के सहयोग से Axiom Space द्वारा आयोजित एक अंतरिक्ष उड़ान है। शुभांशु इस मिशन के पायलट थे और उन्होंने 18 दिनों तक ISS पर रहते हुए लगभग 60 वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम दिया। इन प्रयोगों में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण, जैविक बदलाव, जल व्यवहार, और मानव शरीर पर अंतरिक्ष के प्रभावों का अध्ययन शामिल था। उन्होंने अपने साथ कुछ टार्डिग्रेड्स (एक सूक्ष्म जीव जो किसी भी परिस्थिति में जीवित रह सकता है) भी ले गए, जिन पर भी अध्ययन किया गया।

उनकी यह उपलब्धि न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। अंतरिक्ष से उन्होंने एक संदेश भी भेजा था, जिसमें उन्होंने कहा था, “नमस्कार, मेरे प्यारे देशवासियों; 41 साल बाद हम अंतरिक्ष में पहुंच गए हैं, यह यादगार यात्रा है। मैं चाहता हूं कि आप सभी मेरी यात्रा का हिस्सा बनें, आइये, हम सब मिलकर भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम को आगे बढ़ाएं।”

 

घर वापसी और भविष्य की भूमिका

18 दिन अंतरिक्ष में बिताने के बाद, शुभांशु शुक्ला और उनके साथियों ने स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से कैलिफोर्निया के समुद्र में सुरक्षित लैंडिंग की। उनकी वापसी पर पूरे देश में खुशी का माहौल था। उनके परिवार ने भी इस ऐतिहासिक पल को लाइव देखा।

शुभ्रांशु शुक्ला का अंतरिक्ष में प्राप्त अनुभव भारत के आगामी गगनयान मिशन के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। वह इस मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, जिससे भारत अपने यात्रियों को अंतरिक्ष तक भेजने में सक्षम हो सकेगा। शुभांशु शुक्ला ने अपने समर्पण, साहस और कड़ी मेहनत से अनगिनत सपनों को पूरा किया है और वे लाखों युवाओं के लिए एक प्रेरणा बन गए हैं।

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