पहलगाम आतंकी हमला, ‘operation sindoor’ और भारत की विदेश नीति: संसद में विस्तृत बहस की मांग
नई दिल्ली: हाल ही में mallikarjun kharge ने पहलगाम आतंकी हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद की स्थिति पर नियमों के मुताबिक सदन में नोटिस दिया है। और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (operation sindoor) से जुड़े खुलासों, देश की सुरक्षा और विदेश नीति को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तृत चर्चा के लिए संसद में एक नोटिस दिया है, जिसमें दो दिवसीय बहस और प्रधानमंत्री के जवाब की मांग की गई है। साथ ही, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए सरकार की योजना और कार्रवाई की जानकारी भी मांगी गई है।
पहलगाम आतंकी हमले पर गंभीर चिंता
22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद आज तक दोषियों का न पकड़ा जाना या उन्हें बेअसर न कर पाना गहरी चिंता का विषय है। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने स्वयं इस बात को स्वीकार किया है कि पहलगाम में सुरक्षा में चूक हुई थी। देश की एकता और सेना को मजबूत करने के लिए सरकार को बिना शर्त समर्थन देने के बावजूद, इस हमले के बाद की स्थिति पर सरकार की चुप्पी सवालों के घेरे में है। नोटिस में सरकार से पहलगाम आतंकी हमले की पूरी स्थिति स्पष्ट करने की मांग की गई है, ताकि इस घटना के पीछे के कारणों और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों का खुलासा हो सके।
इसके अलावा, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के विभिन्न पहलुओं पर भी चर्चा की जानी चाहिए, ताकि सभी संबंधित पहलुओं को समझा जा सके।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ (operation sindoor )और सुरक्षा चूकों पर खुलासे
‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS), उप सेना प्रमुख और एक वरिष्ठ डिफेंस अताशे द्वारा किए गए खुलासे ने देश की आंतरिक सुरक्षा और सैन्य तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन खुलासों की प्रकृति और उनके निहितार्थों पर सरकार को संसद में स्पष्टीकरण देना होगा। यह भी महत्वपूर्ण है कि देश की सुरक्षा चूकों पर खुली और पारदर्शी चर्चा हो, ताकि भविष्य में ऐसी गलतियों से बचा जा सके।
इस प्रकार, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की प्रगति और उसकी चुनौतियों पर भी ध्यान देना आवश्यक है, ताकि सुरक्षा प्रक्रियाओं में सुधार हो सके।
ट्रंप के ‘संघर्ष विराम’ के दावे और विदेश नीति पर रुख
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार नहीं, बल्कि 24 बार यह दावा किया है कि उन्होंने भारत और किसी अन्य देश के बीच “संघर्ष विराम” (Ceasefire) करवाया था। यह दावा देश के लिए अपमानजनक माना जा रहा है और इस पर सरकार को अपना रुख स्पष्ट करना होगा। भारत की विदेश नीति की संप्रभुता और किसी बाहरी हस्तक्षेप के बिना निर्णय लेने की क्षमता पर ऐसे दावे क्या प्रभाव डालते हैं, इस पर सरकार की स्थिति जानना अनिवार्य है।
विशेष सत्र और दो दिवसीय बहस की मांग
दो महीने पहले भी इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर विशेष सत्र की मांग की गई थी। अब जब संसद की बैठक हो रही है, तो पहलगाम हमले, ‘ऑपरेशन सिंदूर’, सुरक्षा चूकों और भारत की विदेश नीति पर दो दिवसीय बहस की मांग की गई है। इस बहस के दौरान प्रधानमंत्री को स्वयं उपस्थित होकर इन गंभीर मुद्दों पर जवाब देने का आह्वान किया गया है।
इसके परिणामस्वरूप, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की प्रभावशीलता का मूल्यांकन होना चाहिए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से निपटा जा सके।
यह मांग देश की सुरक्षा, संप्रभुता और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की स्थिति को लेकर उत्पन्न हुई चिंताओं को दर्शाती है। इन मुद्दों पर खुली और सार्थक बहस ही देश को आगे बढ़ाने और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में मदद करेगी।
अंत में, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की आवश्यकता और उसके कार्यान्वयन के तरीकों पर विचार विमर्श होना चाहिए, ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
1 comment