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इंस्टाग्राम पर कम, AI पर ज़्यादा समय बिताएं: परप्लेक्सिटी CEO की युवाओं को सलाह

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नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर लगातार स्क्रोल करने की लत आज के युवाओं की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। घंटों इंस्टाग्राम रील्स देखने और बिना किसी खास उद्देश्य के ऑनलाइन रहने से न केवल समय बर्बाद होता है, बल्कि यह उत्पादकता और कौशल विकास में भी बाधा डालता है। इसी समस्या पर बात करते हुए, AI स्टार्टअप परप्लेक्सिटी (Perplexity AI ) के सह-संस्थापक और CEO अरविंद श्रीनिवास ने युवा पीढ़ी को एक सीधी और बेबाक सलाह दी है: “इंस्टाग्राम पर कम समय बिताएं और AI टूल्स का उपयोग करने में ज़्यादा समय लगाएं।”

श्रीनिवास का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जिस गति से नौकरी बाजार को बदल रहा है, उसे इंसान मुश्किल से ही पकड़ पा रहे हैं। उनका यह स्पष्ट संदेश उन लाखों युवाओं के लिए है जो भविष्य में रोजगार की तलाश में होंगे या अपने करियर को आगे बढ़ाना चाहते हैं।

AI क्यों है महत्वपूर्ण?

अरविंद श्रीनिवास ने कई सार्वजनिक मंचों पर इस बात पर जोर दिया है कि AI कौशल अब रोजगार के लिए एक महत्वपूर्ण कारक बनता जा रहा है। उन्होंने कहा, “जो लोग वास्तव में AI के उपयोग में सबसे आगे हैं, वे उन लोगों की तुलना में कहीं अधिक रोजगार योग्य होंगे जो नहीं हैं। यह होना तय है।” उनकी चेतावनी साफ है: या तो AI सीखो या इससे कुछ नया बनाओ, वरना तेजी से ऑटोमेटेड होती दुनिया में पीछे रह जाने का जोखिम है।

AI तकनीक हर तीन से छह महीने में नए अपडेट के साथ आ रही है, और यह लगातार विकसित हो रही है। श्रीनिवास के अनुसार, यह तकनीकी बदलाव उद्योगों में काम करने वाले लोगों के लिए एक असहज वास्तविकता पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा, “मानव जाति कभी भी इतनी तेजी से अनुकूलन करने में सक्षम नहीं रही है।” इसका मतलब है कि स्थिर रहना पीछे छूटने जैसा है। लगातार नए कौशल सीखना और खुद को अपग्रेड करते रहना अब बेहद ज़रूरी हो गया है।

नौकरियों का भविष्य और अनुकूलन की चुनौती

श्रीनिवास इस बात को लेकर यथार्थवादी हैं कि AI के कारण कुछ नौकरियां खत्म हो जाएंगी, खासकर वे जो दोहराए जाने वाले कामों पर आधारित हैं। हालांकि, वे आगे बढ़ने का एक रास्ता भी देखते हैं। उनका सुझाव है कि या तो लोग AI का उपयोग करके नई कंपनियां बनाएं, या वे AI सीखकर उन कंपनियों में योगदान दें जो पहले से ही AI के अनुकूल हो रही हैं।

यह सिर्फ एक सिद्धांत नहीं है; AI क्षेत्र के अन्य विशेषज्ञ भी इस चिंता को साझा करते हैं। एंथ्रोपिक (Anthropic) के CEO डारियो अमोडी ने चेतावनी दी है कि अगले पाँच वर्षों में 50 प्रतिशत तक एंट्री-लेवल व्हाइट-कॉलर नौकरियां गायब हो सकती हैं। AI के “गॉडफादर” कहे जाने वाले जेफ्री हिंटन ने भी इसी बात को दोहराया है कि AI दिनचर्या वाले सोचने वाले कई कामों की जगह ले लेगा। हालांकि, कुछ लोग अभी भी आशावादी हैं। Nvidia के CEO जेन्सेन हुआंग का तर्क है कि AI नौकरियों को पूरी तरह से खत्म नहीं करेगा, बल्कि काम करने के तरीके को बदल देगा।

रिक्रूटर से लेकर ऑफिस के रूटीन काम तक

श्रीनिवास ने एक उदाहरण देते हुए बताया कि आज AI क्या कर सकता है। उन्होंने बताया कि परप्लेक्सिटी का नया कॉमेट ब्राउज़र (Comet browser) संभावित रूप से एक रिक्रूटर के पूरे काम को ऑटोमेट कर सकता है। उन्होंने कहा, “एक रिक्रूटर का एक हफ्ते का काम सिर्फ एक प्रॉम्प्ट है: सोर्सिंग और रीच आउट्स। और फिर आपको स्टेट ट्रैकिंग करनी होगी।” लेकिन यह सिर्फ उम्मीदवारों को खोजने तक ही सीमित नहीं है। श्रीनिवास के अनुसार, AI उन उम्मीदवारों के साथ फॉलो-अप कर सकता है, उनके जवाबों को ट्रैक कर सकता है, गूगल शीट्स में अपडेट कर सकता है, मीटिंग शेड्यूल कर सकता है और मीटिंग से पहले एक संक्षिप्त जानकारी भी दे सकता है। उनका मानना है कि कॉमेट जैसे टूल्स, GPT-5 या क्लाउड 4.5 जैसे अधिक उन्नत मॉडलों के साथ मिलकर, रूटीन ऑफिस के काम करने के तरीके को पूरी तरह से बदल सकते हैं।

यह सलाह भारत जैसे देश के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक है, जहां बड़ी संख्या में युवा आबादी है और डिजिटल साक्षरता तेजी से बढ़ रही है। श्रीनिवास ने उम्मीद जताई कि भारतीय युवा AI का उपयोग केवल “चीट कोड” के रूप में नहीं करेंगे, बल्कि इसका उपयोग साइड गिग्स खोजने, अधिक कमाई करने और अपनी उत्पादकता बढ़ाने के लिए करेंगे। उनका कहना है कि अगर पर्याप्त लोग ऐसा करना शुरू कर देते हैं, तो औसत आय बढ़ेगी और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में भी वृद्धि होगी।

निष्कर्ष में, अरविंद श्रीनिवास का संदेश स्पष्ट है: भविष्य AI का है। जो युवा इस बदलाव को अपनाते हैं और AI कौशल सीखते हैं, वे न केवल अपने करियर में सफल होंगे, बल्कि समाज में भी महत्वपूर्ण मूल्य जोड़ेंगे। इंस्टाग्राम पर स्क्रोलिंग में बर्बाद होने वाला समय, अब AI सीखने में निवेश करने का सही समय है।

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