अमेरिकी सरकार ने चीन से आयात होने वाले (Chinese graphite) ग्रेफाइट पर 93.5% का भारी टैरिफ (शुल्क) लगा दिया है। यह कदम ऐसे समय में आया है जब इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है और ग्रेफाइट इन वाहनों में इस्तेमाल होने वाली बैटरी का एक महत्वपूर्ण घटक है। इस भारी शुल्क का सीधा असर अमेरिका में ईवी निर्माण की लागत पर पड़ने की आशंका है, जिससे उपभोक्ताओं के लिए इलेक्ट्रिक कारें महंगी हो सकती हैं।
ग्रेफाइट ( Chinese graphite ) का महत्व और चीन का प्रभुत्व
इलेक्ट्रिक वाहनों की लिथियम-आयन बैटरी में ग्रेफाइट एक प्रमुख एनोड सामग्री (anode material) के रूप में कार्य करता है। यह बैटरी की क्षमता, चार्जिंग गति और जीवनकाल के लिए महत्वपूर्ण है। चीन वर्तमान में दुनिया में ग्रेफाइट का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है, खासकर एनोड-ग्रेड ग्रेफाइट के मामले में। 2023 में, चीन ने अकेले अमेरिका को लगभग 347 मिलियन डॉलर का एनोड-ग्रेड ग्रेफाइट निर्यात किया था। चीन की इस क्षेत्र में लगभग एकाधिकार जैसी स्थिति है, विशेष रूप से प्रसंस्करण क्षमता के मामले में। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) ने भी हाल ही में चेतावनी दी थी कि ग्रेफाइट उन कच्चे मालों में से एक है जिनकी आपूर्ति बाधित होने का सबसे अधिक खतरा है।
टैरिफ का उद्देश्य और निहितार्थ
अमेरिका द्वारा लगाए गए इस टैरिफ का मुख्य उद्देश्य “मार्केट कॉम्पिटिशन के लिए लेवल प्लेइंग फील्ड बनाना और अमेरिका में नौकरियां और उत्पादन क्षमता की रक्षा करना” है। अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि चीन सरकार द्वारा ग्रेफाइट उत्पादन को भारी सब्सिडी दी जा रही है, जिससे अमेरिकी निर्माताओं के लिए प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो रहा है। अमेरिकन एक्टिव एनोड मटेरियल प्रोड्यूसर्स नामक अलायंस ने चीनी आयातित एनोड-ग्रेड ग्रेफाइट पर एंटी-डंपिंग टैरिफ लगाने का अनुरोध किया था। कुछ चीनी कंपनियों, जैसे हुझोउ काइजिन न्यू एनर्जी टेक्नोलॉजी कॉर्प (Huzhou) और शंघाई शाओशेंग (Shanghai Shaosheng) पर तो 700% से अधिक का शुल्क लगाया गया है। एंटी-डंपिंग और एंटी-सब्सिडी टैरिफ दोनों पर अंतिम निर्णय 5 दिसंबर, 2025 तक होने की उम्मीद है।
इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग पर प्रभाव
यह भारी टैरिफ अमेरिकी इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए चुनौतियां खड़ी कर सकता है। चूंकि अमेरिका के पास अभी तक ग्रेफाइट को उन सटीक विशिष्टताओं (specifications) तक बनाने की क्षमता नहीं है जिनकी बैटरी में आवश्यकता होती है, इसलिए तत्काल आपूर्ति में बदलाव करना मुश्किल होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह सामग्री विकसित करने और बैटरी में उपयोग के लिए इसे योग्य बनाने में काफी समय लगता है।
CNN की एक रिपोर्ट के अनुसार, उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि टैरिफ का तत्काल प्रभाव आपूर्ति श्रृंखला को बदलने में नहीं होगा, लेकिन समय के साथ बदलाव देखने को मिलेंगे और अमेरिकी उद्योग का विकास तेज होगा। हालांकि, इस टैरिफ से बैटरी सेल की लागत में प्रति किलोवाट-घंटा (kWh) $7 तक की वृद्धि हो सकती है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों की कुल लागत बढ़ जाएगी। यह अमेरिकी सरकार के इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लक्ष्य के विपरीत जा सकता है, क्योंकि बढ़ती लागत से उपभोक्ताओं के लिए ईवी की खरीदारी कम आकर्षक हो सकती है।
आत्मनिर्भरता की ओर कदम
यह कदम अमेरिका की चीन पर महत्वपूर्ण खनिजों और घटकों के लिए निर्भरता कम करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। अमेरिका सेमीकंडक्टर, दुर्लभ मृदा तत्व और इलेक्ट्रिक वाहन घटकों जैसे महत्वपूर्ण सामानों में आत्मनिर्भरता बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। इसके लिए, अमेरिका घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने के लिए भारत और वियतनाम जैसे देशों के साथ साझेदारी कर रहा है।
हालांकि, यह तात्कालिक रूप से अमेरिकी ईवी निर्माताओं के लिए लागत बढ़ाएगा और उन्हें नए आपूर्ति स्रोतों की तलाश करने या घरेलू उत्पादन क्षमताओं को विकसित करने के लिए प्रेरित करेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह टैरिफ नीति अमेरिकी ईवी बाजार को कैसे प्रभावित करती है और क्या यह वास्तव में घरेलू ग्रेफाइट उत्पादन को बढ़ावा दे पाती है या नहीं। यह चीन और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापार युद्ध में एक और नया अध्याय है, जिसके वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं और विभिन्न उद्योगों पर दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।