एयर इंडिया विमान दुर्घटना( Air India plane crash ): पश्चिमी मीडिया की आलोचना के बीच उड्डयन मंत्री ने AAIB का किया बचाव
हाल ही में हुई एयर इंडिया की दुखद विमान दुर्घटना Air India plane crash ने देश को स्तब्ध कर दिया है। इस दुर्घटना के बाद से ही, विशेष रूप से पश्चिमी मीडिया के कुछ हलकों से भारत के विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की जांच प्रक्रिया पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। इन आलोचनाओं के बीच, भारत के उड्डयन मंत्री ने AAIB का दृढ़ता से बचाव करते हुए कहा है कि किसी भी निष्कर्ष पर कूदने का कोई मतलब नहीं है जब तक कि पूरी जांच पूरी न हो जाए।
Air India plane crash
दुर्घटना 12 जून, 2025 को हुई, जब अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरने वाला एयर इंडिया का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान उड़ान भरने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस दुखद घटना में 260 लोगों की जान चली गई, जिनमें विमान में सवार यात्री और चालक दल के सदस्य शामिल थे, साथ ही जमीन पर भी कुछ लोग हताहत हुए। यह भारत के हालिया विमानन इतिहास की सबसे विनाशकारी घटनाओं में से एक है।
घटना के तुरंत बाद, AAIB ने जांच शुरू कर दी और एक महीने के भीतर अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट भी जारी कर दी। हालांकि, इस रिपोर्ट के आने के बाद से, कुछ पश्चिमी मीडिया आउटलेट्स ने, विशेष रूप से द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने, अपनी रिपोर्टों में संकेत दिया है कि दुर्घटना का कारण संभवतः पायलट द्वारा जानबूझकर ईंधन स्विच बंद करना था। इन रिपोर्टों ने काफी विवाद खड़ा कर दिया है और AAIB की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
उड्डयन मंत्री ने पश्चिमी मीडिया की इन रिपोर्टों को “पूर्वाग्रहपूर्ण” और “गैर-सत्यापित” करार दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि AAIB की जांच एक कठोर और पेशेवर तरीके से अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल और नियमों के अनुसार की जा रही है। मंत्री ने जोर देकर कहा कि प्रारंभिक रिपोर्ट का उद्देश्य केवल “क्या हुआ” इसकी जानकारी देना है, न कि “क्यों हुआ” इसके निष्कर्ष पर पहुंचना।
AAIB ने स्वयं भी एक सार्वजनिक अपील जारी की है, जिसमें जनता और मीडिया से अपील की गई है कि वे “समय से पहले के नैरेटिव” फैलाने से बचें, क्योंकि इससे जांच प्रक्रिया की अखंडता कमजोर हो सकती है। AAIB ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया के कुछ वर्ग “चुनिंदा और असत्यापित रिपोर्टिंग” के माध्यम से बार-बार निष्कर्ष निकालने का प्रयास कर रहे हैं, जो पूरी तरह से गैर-जिम्मेदाराना है, खासकर तब जब जांच अभी भी जारी है।
इस पूरे विवाद में, भारतीय पायलटों के एक संघ ने भी पश्चिमी मीडिया की कुछ रिपोर्टों को “गुमराह करने वाला” बताया है और उन पर “तथ्यात्मक सामग्री पर आधारित न होने” का आरोप लगाया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि जब तक AAIB की अंतिम रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी।
AAIB की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत एक स्वतंत्र जांच एजेंसी है, जिसका काम भारत में विमान दुर्घटनाओं और गंभीर घटनाओं की जांच करना है। इसका मुख्य उद्देश्य भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकना है, न कि दोष या दायित्व निर्धारित करना। AAIB अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के मानकों और अनुशंसित अभ्यासों का पालन करता है, जो दुनिया भर में विमान दुर्घटना जांच के लिए मानक निर्धारित करते हैं।
मंत्री ने दोहराया कि AAIB ने भारत में ही ब्लैक बॉक्स को सफलतापूर्वक डिकोड करके एक शानदार काम किया है, और इस स्तर पर अटकलबाजी करना गैर-जिम्मेदाराना है। उन्होंने कहा कि “अभी किसी भी निष्कर्ष पर कूदने का कोई मतलब नहीं है।” मंत्री और AAIB दोनों ने जनता और मीडिया से धैर्य रखने और अंतिम जांच रिपोर्ट का इंतजार करने का आग्रह किया है, जो दुर्घटना के मूल कारणों और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सिफारिशों के साथ सामने आएगी।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि विमान दुर्घटनाओं की जांच एक लंबी और जटिल प्रक्रिया होती है, जिसमें कई तकनीकी पहलुओं की गहन पड़ताल की जाती है। हड़बड़ी में कोई भी निष्कर्ष निकालना न केवल जांच को पटरी से उतार सकता है, बल्कि पीड़ितों के परिवारों के प्रति असंवेदनशील भी हो सकता है। भारत के उड्डयन मंत्री का यह बचाव AAIB के काम में विश्वास को दर्शाता है और एक निष्पक्ष तथा वैज्ञानिक जांच प्रक्रिया के महत्व पर जोर देता है।
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