युगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि जी महाराज: ज्ञान, भक्ति और सेवा के प्रतीक
आध्यात्मिक जगत में ऐसे विरले संत होते हैं, जो अपने जीवन और शिक्षाओं से लाखों लोगों के जीवन को आलोकित करते हैं। ऐसे ही एक पूज्य संत हैं युगपुरुष महामंडलेश्वर स्वामी परमानंद गिरि जी महाराज। उनका जीवन ज्ञान, भक्ति, वैराग्य और निस्वार्थ सेवा का अनुपम संगम है, जिसने न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में आध्यात्मिक जागृति फैलाई है।
स्वामी परमानंद गिरि जी महाराज का प्रारंभिक जीवन और आध्यात्मिक यात्रा
परम पूज्य स्वामी परमानंद गिरि जी महाराज का जन्म उत्तर प्रदेश के मवाई धाम (गंगा नदी के पास) में एक धर्मपरायण ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन से ही उनका मन सांसारिक मोहमाया से विरक्त था और वे सत्य की तलाश में थे। कम उम्र में ही उन्होंने गृह त्याग कर दिया और चित्रकूट में अपने गुरु स्वामी अखण्डानंद जी महाराज की शरण ली। यहीं से उनकी कठोर तपस्या और साधना का मार्ग प्रशस्त हुआ। उन्होंने अत्यंत कम विश्राम के साथ अनवरत आध्यात्मिक अभ्यास किया, जिससे उन्हें गहन दिव्य अनुभूतियाँ प्राप्त हुईं।
स्वामी जी ने अपने जीवन को वेदों और उपनिषदों के गहन अध्ययन में समर्पित किया। वे न केवल एक ज्ञानी योगी बल्कि एक कर्म योगी भी थे, जिन्होंने आत्म-साक्षात्कार को प्राप्त किया।
प्रमुख शिक्षाएँ और दर्शन
स्वामी परमानंद गिरि जी महाराज के उपदेशों में वेदान्त और भक्ति का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है। उनकी शिक्षाएँ सरल होने के बावजूद अत्यंत गहन होती हैं, जो हर स्तर के जिज्ञासु को समझ में आती हैं। उनके संदेश का मूल तत्व है: “स्वयं को जानो और हम सब एक हैं।”
उनके कुछ प्रमुख उपदेशों में शामिल हैं:
- कर्मों का महत्व: स्वामी जी इस बात पर बल देते हैं कि हमारे कर्म ही हमारे जीवन का निर्माण करते हैं। अच्छे कर्मों से सुख और बुरे कर्मों से दुख प्राप्त होता है।
- ब्रह्मचर्य और संयम: वे संयमित जीवन और ब्रह्मचर्य के महत्व को बताते हैं, जो शारीरिक और मानसिक शक्ति के लिए आवश्यक हैं।
- अहिंसा और सत्य: उनके उपदेशों में सत्यनिष्ठा, अहिंसा और सभी जीवों के प्रति करुणा का भाव प्रमुख है।
- वर्तमान में जीना: वे मानसिक शांति के लिए वर्तमान क्षण में जीने की महत्ता पर जोर देते हैं।
- नाम जप और ध्यान: स्वामी जी ध्यान और ईश्वर के नाम जप को आंतरिक शांति और आत्मज्ञान प्राप्त करने का सरल मार्ग बताते हैं।
- धर्म का महत्व: हाल ही में महाकुंभ 2025 में उन्होंने राजनीति में धर्म के महत्व पर भी प्रकाश डाला, जो उनके व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
सेवा कार्य और सामाजिक योगदान
स्वामी परमानंद गिरि जी महाराज केवल एक संत नहीं, बल्कि एक महान समाज सुधारक और सेवाभावी व्यक्तित्व भी हैं। उन्होंने समाज के उत्थान के लिए अथक कार्य किया है। उनके द्वारा स्थापित कुछ प्रमुख सेवा कार्य इस प्रकार हैं:
- अखण्ड परम धाम आश्रम: हरिद्वार के सप्त सरोवर मार्ग पर स्थित यह आश्रम स्वामी जी की करुणा का प्रतीक है। देश-विदेश से श्रद्धालु यहाँ आध्यात्मिक शांति और मार्गदर्शन के लिए आते हैं। यह आश्रम विभिन्न पवित्र गतिविधियों को अंजाम देता है, जिसका उद्देश्य हृदय को शुद्ध करना और ईश्वर की छवि को स्थापित करना है।
- स्कूल और अस्पताल: उन्होंने विशेष रूप से अविकसित क्षेत्रों में कई स्कूल और अस्पताल स्थापित किए हैं, जो गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा कर रहे हैं।
- गौशालाएँ: स्वामी जी गो-रक्षा आंदोलन के प्रबल समर्थक रहे हैं और उन्होंने कई गौशालाएँ स्थापित की हैं।
- अन्नक्षेत्र: उनके आश्रमों में 50 वर्षों से अधिक समय से प्रतिदिन अन्नक्षेत्र के रूप में संत सेवा और गरीबों को भोजन कराया जा रहा है।
स्वामी जी ने अपनी प्रवचनों से प्राप्त धन का उपयोग इन सभी मानवीय परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए किया।
विश्व मंच पर उपस्थिति और शिष्यों का योगदान
स्वामी परमानंद गिरि जी महाराज को वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र में आध्यात्मिक नेताओं के विश्व मिलेनियम शांति शिखर सम्मेलन को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया था। उन्होंने 150 से अधिक पुस्तकें और योग तथा वेदान्त पर अनगिनत प्रवचन लिखे हैं, जो “युग निर्झर” नामक मासिक पत्रिका में भी प्रकाशित होते हैं।
उनकी प्रमुख शिष्या साध्वी ऋतंभरा जी (दीदी माँ) और 200 से अधिक संन्यासी उनके आध्यात्मिक उत्थान और सेवा के मिशन को आगे बढ़ा रहे हैं। स्वामी जी ने अपने सरल पहनावे, अथक यात्राओं और सांस्कृतिक मूल्यों में गिरावट की चिंता के लिए जाने जाते थे।
निष्कर्ष
स्वामी परमानंद गिरि जी महाराज का जीवन और शिक्षाएँ हमें यह सिखाती हैं कि सच्ची आध्यात्मिकता केवल ध्यान या पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सेवा, ज्ञान और आत्म-अनुभूति के माध्यम से समाज के उत्थान में भी निहित है। उनके उपदेश आज भी लाखों लोगों को सही मार्ग पर चलने और एक सार्थक जीवन जीने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। वे वास्तव में एक “युगपुरुष” हैं, जिन्होंने अपने ज्ञान और करुणा से युगों तक मानव जाति का मार्गदर्शन किया है और करते रहेंगे।
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