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चंडीगढ़ के 88 वर्षीय पूर्व आई.पी.एस अधिकारी इंदरजीत सिंह सिद्धू : स्वच्छ भारत के सच्चे प्रहरी

पूर्व आई.पी.एस अधिकारी इंदरजीत सिंह सिद्धू

चंडीगढ़, सेक्टर 49: आजकल जहाँ युवा पीढ़ी अक्सर छोटी-मोटी परेशानियों से भी हार मान लेती है, वहीं चंडीगढ़ के सेक्टर 49 स्थित आईएएस-आईपीएस सोसाइटी में रहने वाले एक 88 वर्षीय सेवानिवृत्त पूर्व आई.पी.एस अधिकारी इंदरजीत सिंह सिद्धू ने पूरे शहर के लिए एक मिसाल कायम की है। अपनी उम्र के आठवें दशक में भी, वे हर सुबह ‘स्वच्छ भारत मिशन’ में सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं, अपने आसपास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। उनका यह अद्भुत समर्पण न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि सरकार और समाज दोनों के लिए एक बड़ा संदेश भी है।

हाल ही में उनके इस नेक काम का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसने लोगों का ध्यान खींचा है और उन्हें इस बुजुर्ग आईपीएस अधिकारी को सम्मानित करने की मांग उठाई है।

सुबह 6 बजे शुरू होता है स्वच्छता का अभियान

द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, 88 वर्षीय सिद्धू, जो 1996 में पंजाब पुलिस से डीआईजी के पद से सेवानिवृत्त हुए थे, हर सुबह 6 बजे अपने दिन की शुरुआत करते हैं। जहाँ अधिकतर वरिष्ठ नागरिक इस उम्र में सुबह की सैर के लिए निकलते हैं, वहीं सिद्धू अपने हाथों में एक रेहड़ी (कूड़ा उठाने वाली गाड़ी) लेकर सेक्टर 49 में कूड़ा इकट्ठा करने निकल पड़ते हैं। यह उनका रोज़ का नियम है, बिना किसी नागा के।

सिद्धू कई सालों से आईएएस-आईपीएस ऑफिसर्स कोआपरेटिव सोसाइटी में रह रहे हैं। उनके अनुसार, गलियों में बिखरे कूड़े को देखकर उन्हें हमेशा निराशा होती थी। उन्होंने कई बार अधिकारियों से शिकायत भी की, लेकिन जब कोई फायदा नहीं हुआ, तो पूर्व आई.पी.एस अधिकारी इंदरजीत सिंह सिद्धू ने खुद ही इस काम को अपने हाथ में लेने का फैसला किया।

“इस काम में कोई शर्म नहीं”

इंदर जीत सिंह सिद्धू का कहना है कि साफ-सफाई के काम में कोई शर्म नहीं है, बल्कि “स्वच्छता ही ईश्वरता है” (cleanliness is next to godliness)। शुरुआत में, उनके आसपास के लोगों ने उन्हें ‘पागल’ भी समझा, लेकिन उनकी टिप्पणियों ने कभी उन्हें रोका नहीं। जब भी उन्हें सफाईकर्मियों की रेहड़ी खाली और अप्रयुक्त दिखती है, वे उसे ले लेते हैं, उसमें कूड़ा भरते हैं और उसे निर्धारित स्थानों पर डाल देते हैं। अब उनके इस काम में स्थानीय निवासी भी उनका समर्थन करने लगे हैं।

सिद्धू इस बात से खुश नहीं थे कि स्वच्छ सर्वेक्षण में चंडीगढ़ को “कम रैंक” मिली थी। उनका तर्क है कि “सिटी ब्यूटीफुल” के नाम से मशहूर इस शहर को शीर्ष स्थान पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शहर की स्वच्छता में उनका योगदान भले ही कम हो, लेकिन वे उतना कर रहे हैं जितना उनका शरीर उन्हें करने की अनुमति देता है। अपने संकल्प में दृढ़, उन्होंने कहा कि उन्हें दूसरों की राय की परवाह नहीं है और वे अपनी आखिरी सांस तक शहर की बेहतरी के लिए अपने प्रयास जारी रखेंगे। उनके परिवार के सदस्यों ने भी उनके इस प्रयास में पूरा समर्थन व्यक्त किया है। उनका मानना है कि अगर हर नागरिक शहर को साफ रखने में योगदान दे, तो चंडीगढ़ निश्चित रूप से शीर्ष स्थान प्राप्त कर सकता है। यह काम उन्हें संतोष देता है।

सरकार और प्रशासन से सम्मान की अपील

इस वायरल वीडियो को देखने के बाद सोशल मीडिया पर कई लोगों ने चंडीगढ़ के डीजीपी, राजस्थान के राज्यपाल (पूर्व में केंद्रीय मंत्री), केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कार्यालय और चंडीगढ़ के एसएसपी को टैग करते हुए उनसे सिद्धू जी के इस अद्भुत कार्य का संज्ञान लेने और उन्हें सम्मानित करने की अपील की है। यह वास्तव में सराहनीय है कि एक सेवानिवृत्त अधिकारी, जो अपने जीवन में उच्च पदों पर रहे हैं, अभी भी समाज के प्रति अपने कर्तव्य को नहीं भूले हैं और ‘स्वच्छ भारत’ जैसे राष्ट्रीय मिशन में एक सक्रिय भागीदार बन रहे हैं।

उनकी यह कहानी युवा पीढ़ी और उन सभी लोगों के लिए एक बड़ी प्रेरणा है, जो बदलाव लाने की सोचते तो हैं, लेकिन कदम उठाने से कतराते हैं। इंदर जीत सिंह सिद्धू जैसे लोग ही समाज की असली रीढ़ हैं, जो अपने कर्मों से दूसरों को राह दिखाते हैं। सरकार को निश्चित रूप से उनके समर्पण को पहचानना चाहिए और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करना चाहिए ताकि अन्य लोग भी उनसे प्रेरणा ले सकें।

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