मध्य पूर्व के राजनीतिक परिदृश्य में द्रूज़ समुदाय का नाम अक्सर सुना जाता है। यह एक ऐसा अनूठा धार्मिक और जातीय समूह है, जिसकी जड़ें 11वीं सदी के इस्माइली शिया इस्लाम में हैं, लेकिन इसने समय के साथ एक स्वतंत्र धर्म का रूप ले लिया है। अपनी विशिष्ट मान्यताओं, मजबूत सामुदायिक एकजुटता और गुप्त परंपराओं के कारण द्रूज़ सदियों से कौतूहल का विषय रहे हैं।
द्रूज़ कौन हैं और उनकी मुख्य मान्यताएँ क्या हैं?
द्रूज़ खुद को “अल-मुवहहिदून” (एकेश्वरवादी) कहते हैं, जिसका अर्थ है ईश्वर की एकता में विश्वास रखने वाले। इनकी धार्मिक परंपराएं अत्यंत गोपनीय हैं और इनके पवित्र ग्रंथ “एपिस्टल्स ऑफ विजडम” केवल ‘उक्कालों’ (ज्ञानियों) के लिए सुलभ हैं। द्रूज़ धर्म की कुछ प्रमुख मान्यताएँ इस प्रकार हैं:
- एकेश्वरवाद: ये एक ही ईश्वर में पूर्ण विश्वास रखते हैं।
- पुनर्जन्म: पुनर्जन्म या आत्मा के एक शरीर से दूसरे शरीर में जाने में इनका गहरा विश्वास है।
- पैगंबरों का सम्मान: ये शुऐब (जेथ्रो), मूसा (मोज़ेस), ईसा (यीशु) और मुहम्मद जैसे प्रमुख धार्मिक गुरुओं को सम्मान देते हैं, लेकिन अपनी गुप्त शिक्षाओं के अनुसार उनकी व्याख्या करते हैं।
- कोई धर्मांतरण नहीं: द्रूज़ धर्म में धर्मांतरण की अनुमति नहीं है। कोई व्यक्ति जन्म से ही द्रूज़ होता है, और यह एक बंद समुदाय है। बाहरी विवाह को भी हतोत्साहित किया जाता है।
कहाँ रहते हैं द्रूज़ और उनकी जनसंख्या कितनी है?
दुनिया भर में द्रूज़ समुदाय की कुल जनसंख्या लगभग 10 लाख से 15 लाख के बीच अनुमानित है। ये मुख्य रूप से मध्य पूर्व के कुछ देशों में केंद्रित हैं:
- लेबनान: यहाँ द्रूज़ समुदाय कुल जनसंख्या का लगभग 5% है, और यह लेबनानी राजनीति में एक महत्वपूर्ण शक्ति है।
- सीरिया: सीरियाई आबादी का लगभग 3% द्रूज़ हैं, जिनमें से अधिकांश सीरिया के दक्षिण-पश्चिमी प्रांत स्वैदा में रहते हैं।
- इज़राइल: इज़राइल में लगभग 1.4 लाख द्रूज़ हैं, जो देश की आबादी का लगभग 1.6% हैं। ये मुख्य रूप से गलील, कार्मेल और गोलान हाइट्स क्षेत्रों में बसे हैं।
- जॉर्डन और दुनिया के अन्य हिस्सों में भी द्रूज़ के छोटे समुदाय मौजूद हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक संरचना
द्रूज़ समुदाय में कोई सार्वजनिक पूजा, व्यापक त्योहार या तीर्थयात्राएँ नहीं होतीं, जैसा कि अन्य धर्मों में प्रचलित है। ये गुरुवार को अपनी गुप्त धार्मिक चर्चाओं में भाग लेते हैं। इनका एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक पर्व “ज़ियारा” है, जो नबी शुऐब की मज़ार (इज़राइल में स्थित) की तीर्थयात्रा है। इज़राइल में यह एक सार्वजनिक अवकाश भी होता है, जो उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का प्रतीक है।
समुदाय और राजनीति में भूमिका
द्रूज़ समुदाय अपनी गहरी वफादारी और आंतरिक एकजुटता के लिए जाना जाता है। ये अपने सदस्यों के प्रति अत्यंत निष्ठा रखते हैं। लेबनान, सीरिया, जॉर्डन और इज़राइल जैसे देशों की राजनीति में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है।
- इज़राइल में स्थिति: इज़राइल में द्रूज़ पुरुषों के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य है, और वे इज़राइल रक्षा बलों (IDF) में उच्च पदों पर सेवारत हैं। यहूदी राज्य के प्रति उनकी निष्ठा ऐतिहासिक रूप से मजबूत रही है।
वर्तमान चुनौतियाँ
आधुनिक युग में द्रूज़ समुदाय को कई भू-राजनीतिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है:
- सीरिया में सुरक्षा: सीरिया में गृह युद्ध के कारण, विशेषकर स्वैदा प्रांत में, द्रूज़ समुदाय पर हाल के वर्षों में कई हमले हुए हैं। इज़राइल ने सीरियाई द्रूज़ की सुरक्षा के नाम पर सीरिया में कुछ सैन्य कार्रवाई भी की है, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है।
- इज़राइल में पहचान का संकट: इज़राइल के भीतर, कुछ द्रूज़ नागरिक हाल के “यहूदी-राष्ट्र कानून” से असंतोष महसूस करते हैं। उनका मानना है कि यह कानून उनकी गैर-यहूदी पहचान और अधिकारों को प्रभावित करता है, जिससे उनकी निष्ठा और समानता को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
संक्षेप में कहें तो, द्रूज़ एक हज़ार साल पुराना, अद्वितीय और गूढ़ धार्मिक समुदाय है जो मध्य पूर्व में अपनी एक अलग पहचान रखता है। अपनी गुप्त परंपराओं, पुनर्जन्म के विश्वास और मजबूत सामाजिक एकता के साथ, वे आज आधुनिक राजनीति, पहचान और सुरक्षा से जुड़ी जटिल चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।